कार्यालय-14 एमO आईO जीo न्यू शाहगंज, आगरा
कार्यालय-14 एमO आईO जीo न्यू शाहगंज, आगरा
Learn More"गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस की रचना सामान्य भाषा में न की होती, तो जनसामान्य सीता-राम के चरित्र से वंचित रह जाता। श्रीराम और सीता के जन्म से लेकर महायुद्ध तक की कथा का विस्तृत वर्णन अपनी लेखनी से किया है। सीता का जन्म भूमि से हुआ था, इसलिए उन्हें 'भूमिजा' या 'जनकनंदिनी' के रूप में जाना गया। माता जानकी ने एक बार शिवधनुष को उठाते हुए देखा और राजा जनक ने प्रतिज्ञा की कि जो शिवधनुष को तोड़ सकेगा, उसी से सीता का विवाह होगा। अनेकानेक राजाओं को आमंत्रित किया गया, और उसी समय गुरु विश्वामित्र के साथ श्रीराम और लक्ष्मण वहाँ पहुंचे। जब कोई राजा उस धनुष की प्रत्यंचा नहीं चढ़ा सका, तो मिथिला के राजा ने घोषणा की कि क्या कोई धनुष तोड़ सकता है। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर दशरथ नंदन श्रीराम ने शिवधनुष तोड़ दिया, और राम-सीता का विवाह संपन्न हुआ। सीता-राम के विवाह का मनोहारी शृंगार और समारोह का वर्णन किसी के द्वारा संपूर्ण रूप से नहीं किया जा सकता है। जैसे जानकी के साथ जनकपुरवासी, देवता, मुनि, और ऋषि ने भी दर्शन कर अपने को धन्य माना। श्यामल गौर वर्ण, कौशल्या नंदन, कमल-नेत्र, करुणानिधान, शरणागत वत्सल प्रभु राम की अनुपम अलौकिक छवि एवं वर रूप में उनके दर्शन पाकर सभी लोग धन्य हो गए।"
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सीता-राम का जीवन, प्रेम, आदर्श, समर्पण और मूल्यों को प्रदर्शित करता है। भगवान राम चेतना के प्रतीक हैं और
माता सीता प्रकृति और शक्ति की प्रतीक हैं। राम-सीता का विवाह पंचमी के दिन हुआ था। तुलसीदास ने इस दिन इस विवाह
का वर्णन अपने महाकाव्य में पूरा किया। इस पवित्र विवाह की कथा सुनने से पारिवारिक एकता, आपसी विश्वास, स्नेह,
और माधुर्य बना रहता है।"
धरतीपुत्र मंगलगृह, भाई के समस्त कार्य विवाह में करता है। यथोचित उपहार भेंट कर बारात अवधपुरी नगर आती है। माता
सुनयना और पिता महाराज जनक जी, कुलगुरु शतानंद जी, अवध के कुलगुरु वशिष्ठ जी, और कौशिक मुनि विश्वामित्र जी का
यथोचित सम्मान और विदाई की जाती है। माता जानकी को ससुराल में आचरण और व्यवहार की शिक्षा दी जाती है, क्योंकि
पुत्री दोनों कुलों को स्वर्ग के समान बना देती है।
सारांश में, तीनों लोकों और चौदह भुवनों में ऐसा विवाह न तो कभी हुआ है और न ही किसी ने देखा या सुना होगा।
जब-जब पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की आवश्यकता होती है, तब-तब भगवान मानव रूप में अवतरित होते हैं। श्रीराम का
विवाह सुनने और देखने मात्र से सभी कलेश समाप्त हो जाते हैं, क्योंकि राम जैसा पुत्र और माता जानकी जैसी बहू ने
जीवन जीने की आदर्श शिक्षा दी है। यदि कलियुग में भी ऐसे आदर्श पुत्र और पुत्री जिस घर को मिल जाएं, तो वह घर इस
लोक और परलोक, दोनों में स्वर्ग के समान हो जाता है।
"जगत जननी, जनक नंदिनी, पराशक्ति माँ सीता का विवाह संस्कार दशरथ नंदन श्री राम के साथ संपन्न होता है। यह शुभ अवसर तब आता है जब प्रभु श्रीराम शिव धनुष को भंग कर महाराज जनक की प्रतिज्ञा को पूर्ण करते हैं। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से राजीव नयन, श्यामल शरीर, वेद-सौंदर्य के पुंज प्रभु श्रीराम, जनकपुर में आयोजित स्वयंवर में शिव धनुष को भंग करते हैं, जिसे देखकर जनकपुरवासियों का हर्ष और आस्था चरम पर पहुँच जाती है। शिव धनुष को उठाने और तोड़ने का प्रयत्न अनेक राजा करते हैं, परंतु कोई सफल नहीं होता। इस घटना से महाराज जनक चिंता में पड़ जाते हैं कि उनकी प्रतिज्ञा का क्या होगा। तभी गुरु विश्वामित्र के आदेश पर श्रीराम आगे बढ़ते हैं और शिव धनुष को सहजता से भंग कर देते हैं। इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बनकर जनकपुरवासी अपने जीवन को धन्य मानते हैं। मिथिला नगरी की सुंदरता और इस अनोखी घटना का वर्णन तो स्वयं देवताओं के भी परे है। चारों ओर हर्ष और उल्लास का माहौल बन जाता है। माता सुनयना की पुत्री सीता को स्वयं माँ पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त होता है। सभी जन मंगल शगुन को देखकर आनंदित हो उठते हैं। अंततः, राम और सीता का विवाह सम्पन्न होता है, साथ ही उनके भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का विवाह भी सीता की बहनों के साथ विधिपूर्वक होता है। दोनों राज्यों में खुशियों का माहौल छा जाता है। देवता पुष्प वर्षा करने लगते हैं और महारानी सुनयना, राम और उनके भाइयों जैसे अद्भुत दामाद पाकर स्वयं को धन्य मानती हैं।"
मांगलिक कार्यक्रम
राजा जनक नगर भ्रमण आमंत्रण य बैण्ड बाजों के साथ मिथिला नरेश मिथिला नगरवासियों की सीताजी के विवाह का आमंत्रण देते हुए नगर भ्रमण यात्रा साथ 4 बजे से श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर से प्रारम्भ होकर क्षेत्र में भ्रमण करते हुए जनक मंच पर विश्राम लेगी।
समिति के अध्यक्ष श्री गौरव अग्रवाल जी के निवास स्थान 20, साकेत कॉलोनी, शाहगंज, आगरा (नवदीप हॉस्पीटल के पीछे) से बैण्ड-बाजों के साथ सीता जी गौरा पूजन हेतु अपनी सख्खियों के साथ भूतनाथ महादेव मंदिर, गोविन्द नगर, शाहगंज, आगरा पर विश्राम लेगी।
कार्यक्रम स्थल: महाराजा अग्रसेन भवन, लोहामण्डी, आगरा
जनक मंच कोठी मीना बाजार (सीता धाम) शाहगंज, आगरा
अतिथि
राज्य मंत्री, भारत सरकार
पूर्व अध्यक्ष एस.सी.एस.टी.आयोग
अध्यक्ष-महिला आयोग, उ.प्र.
राज्य मंत्री, भारत सरकार
विधायक, आगरा
राज्य मंत्री, उ.प्र. सरकार
क्षेत्रीय अध्यक्ष-भाजपा
पूर्व विधायक, आगरा
सांसद, फतेहपुस्सीकरी, आगरा
राज्य मंत्री, भारत सरकार
एम.एल.सी., विधायक
विधायक, आगरा
विधायक, हाथरस
महानगर अध्यक्ष, भाजपा
पूर्व मंत्री, भाजपा
सांसद, राज्यसभा
सांसद, राज्यसभा
विधायक, आगरा
विधायक, आगरा
राज्य मंत्री. उ.प्र. सरकार
जिलाध्यक्ष, भाजपा
पूर्व मंत्री, उ.प्र. संस्कार
कैबिनेट मंत्री-उ.प्र. सरकार
महापौर, आगरा
सदस्य
अतिथि
अतिथि
महोत्सव समिति
अशोक कुलश्रेष्ठ जी, भवेन्द्र शर्मा जी, केशव देव शर्मा जी
मंहत योगी शंकर नाथ, मंहत अजय राजौरिया, पूरन डावर, डॉ. आशुतोष सक्सेना, डॉ. अलका सेन, डॉ. कमल चौधरी, गौरव बंसल, सुशील रामनानी
प्रमोद वर्मा
गौरव राजावत, हेमन्त भोजवानी राहुल चतुर्वेदी, अनुराग उपाध्याय
गौरव अग्रवाल
विजय अग्रवाल
मुनेन्द्र जादौन, राहुल सागर, विवेक शर्मा, निशांत चतुर्वेदी
संजय अग्रवाल, सतेन्द्र तिवारी, दिलीप खण्डेलवाल, महेश सारस्वत, आशीष पराशर, विकास गोयल, राजु उर्फ भगवानदास, अंकित पटेल, विक्की बाबा, सुमित सतीजा, सचिन महाकाल
सतीश शर्मा
देवेन्द्र कुमार तिवारी
राजीव शर्मा
श्याम सुंदर शर्मा
सचिन गर्ग
डॉ. राजेन्द्र बंसल, डॉ. सुनील सबनानी, मयंक शर्मा, मनोज वर्मा, दीपक चौबे, राजू यादव, अशोक खण्डेलवाल, रवि गुप्ता, रवि नारंग, राहुल खण्डेलवाल, सौरभ अग्रवाल, निर्वेश शर्मा प्रमोद सिंह, अरूण सक्सैना, प्रमोद निठारिया, निलेश अग्रवाल, अंकुर अग्रवाल
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ब्रह्मादिक सुर सिद्घ मुनि, नाग बिबुध अरु भूप।
राम बिबाहु देखन चले, हरषित सकल अनूप॥